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उस आंटी की उम्र 30 साल के आस-पास रही होगी. जब मैंने उसको पहली बार देखा तो मैं उसके बड़े-बड़े चूचों का साइज देखता ही रह गया. उसके चूचे ब्लाउज मैं समा नहीं रहे थे और उनकी दरार उसके ब्लाउज के बाहर तक आकर साफ-साफ दिखाई दे रही थी.पहली बार जब मैंने उस आंटी को देखा तो मैं रोज उसका ही इंतजार करने लगा था. दूध लेने के बहाने मैं उसके मोटे-मोटे और बड़े चूचों को देखकर अपनी आंखें सेंक लिया करता था. धीरे-धीरे मैंने उससे बात करनी भी शुरू कर दी थी. चार-पांच दिन में ही वह आंटी मेरे साथ घुल-मिल गई थी. मैं भी उस आंटी के साथ हंसी-मजाक करने लगा था.एक दिन की बात है जब मेरे चाचा-चाची दोनों ही किसी काम के सिलसिले में बाहर गए हुए थे. उस दिन वह दोनों मुझे यह बोल कर गये थे कि वह लोग अगले दिन ही आएंगे. अब एक दिन मुझे घर पर अकेले ही रहना था. मैं भी ऐसे किसी दिन का काफी समय से इंतजार कर रहा था. चाची-चाची सुबह ही जा चुके थे और आंटी कुछ देर के बाद ही दूध देने के लिए घर पर आई.हम दोनों में एक दो बात हुई और फिर मैंने आंटी के साथ मजाक करना शुरू कर दिया. मैंने मजाक में ही आंटी से कह दिया- आंटी, लगता है कि आपके पास बहुत ही ज्यादा दूध होता है.यह कहते हुए मैं आंटी के चूचों की तरफ देख रहा था.आंटी ने मेरी तरफ देखा और उनको भी इस बात का अहसास हुआ कि मैं उनके चूचों को ही देख रहा हूँ.आंटी ने कहा- हाँ, मेरे तो पास तो बहुत सारा दूध है. अगर तुम देखना चाहते हो कि मेरे पास कितनी भैंस हैं और कौन सी भैंस कितना दूध देती है तो उसके लिए तुमको मेरे खेत पर आना होगा.मैंने सोचा कि यही मौका है आंटी के चूचों तक पहुंचने का, मैंने कहा- ठीक है आंटी, आप ऐसा करना कि आप शाम को दूध लेकर घर पर मत आना. मैं ही आपके खेत पर आकर खुद ही दूध ले जाऊँगा.आंटी ने कहा- ठीक है. तुम खुद ही ले जाना.अब मुझसे शाम होने का इंतजार करना भारी हो रहा था. मेरा लंड तो पहले से ही आंटी के बारे में सोच कर खड़ा होने लगा था. मैं मन ही मन आंटी के चूचों को दबाने और उनकी चूत को चोदने के ख्याली पुलाव पकाने लग गया था. बड़ी ही मुश्किल से शाम का वक्त आया और मैं जल्दी से नहा-धोकर तैयार होने लगा. शाम के लगभग 7 बज चुके थे. मैं दूध लेने के लिए निकल पड़ा और रास्ते में ही अंधेरा हो चुका था. मैं आंटी के खेत पर पहुंच गया.उन्होंने खेत के पास ही अपना घर बनाया हुआ था. मैं गया तो आंटी ने घर के लोगों से मिलवाया और सब को ये भी बता दिया कि मैं उनकी दूध की डेरी को देखने के लिए आया हूँ.
सब लोग खुश हो गये और आंटी के साथ मैं उनके तबेले की तरफ गया जहाँ पर आंटी ने भैंसों को रखा हुआ था. आंटी एक-एक करके मुझे सारी भैंसों को दिखाने लगी.
फिर आंटी ने पूछा- बताओ, तुम्हें कौन सी भैंस में दूध ज्यादा लगता है.
मैंने कहा- आंटी, मैं जिस भैंस की बात कर रहा था वह तो यहाँ पर दिखाई ही नहीं दे रही.
आंटी बोली- किस भैंस की बात कर रहे थे तुम?
मैंने आंटी के चूचों की तरफ देखा और फिर यहाँ-वहाँ देखकर यह सुनिश्चित किया कि कोई आस-पास में न हो. मैंने अगले ही पल आंटी के चूचों को अपने हाथ से दबा दिया और कहा- मैं तो इस वाली भैंस की बात कर रहा था आंटी.
आंटी ने मेरी तरफ शरारत भरी नजर से देखा और वहाँ से चलकर सीधी सामने वाले गन्ने के खेत में जा घुसी. मैं भी आंटी के पीछे-पीछे खेत में घुस गया और पीछे से जाकर आंटी को पकड़ लिया. मैं उनके चूचों को दबाने लगा और आंटी छुड़वाने का नाटक-सा करने लगी.
बोली- छोड़ो मुझे, क्या कर रहे हो, कोई देख लेगा!
मैंने कहा- आह्ह ... अब इस वक्त इतने अंधेरे में कौन देखेगा. आप मजा लो आंटी. मैं बहुत दिन से आपके दूध को पीने के लिए तरस रहा था. क्या आप का मन नहीं करता कि कोई आपके इन बड़े-बड़े दूधों को दबाकर इनका दूध निकाले?
मैं आंटी के चूचों को तेजी के साथ अपने हाथ से मसलने लगा. आंटी मेरी तरफ घूम गई तो मैंने उनके होंठों को चूसना भी शुरू कर दिया. उनके होंठों को चूसते हुए मैंने आंटी के ब्लाउज के अंदर हाथ डाल दिया. हाथ डाल कर मैंने आंटी के चूचों को मसलना और सहलाना शुरू कर दिया. आंटी गर्म होने लगी और मेरे होंठों को चूसने में अपना पूरा सहयोग देने लगी.
मेरा लंड मेरी पैंट में तन कर खड़ा हो गया था और आंटी की साड़ी के ऊपर से ही आंटी के बदन में छेद करने के लिए तड़पता हुआ अपना सिर आंटी की जांघों पर पटक रहा था.
आंटी को जब मेरे लंड का अहसास हुआ तो आंटी ने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को मेरी पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया और मेरे लंड को सहलाते हुए बोली- मैंने भी बहुत दिनों से इसका दूध नहीं पीया है.
मैंने कहा- ठीक है आंटी, आप मुझे अपना दूध पिला दो और मैं आपको अपना दूध पिला देता हूँ. आह्ह ... उम्म ... करते हुए मैं आंटी के चूचों को मसलते हुए उनके होंठों को चूसता जा रहा था.
आंटी ने कुछ ही देर के बाद मेरी पैंट को खोलना शुरू कर दिया. उन्होंने मेरी पैंट को खोल कर मेरी जांघों से नीचे कर दिया और खुद भी नीचे बैठ गई. आंटी ने नीचे बैठते ही मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे तने हुए लंड को किस किया और फिर उसको अपने हाथों से सहलाने लगी.
आह्ह् ... उफ्फ ... मेरे मुंह से कामुक सिसकारी निकल गई. आंटी ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसको अंडरवियर के ऊपर से अपने हाथ में भर कर दबाने लगी.
उसके बाद आंटी ने मेरे अंडरवियर को नीचे खींच दिया और मेरा लंड नंगा हो गया. आंटी ने मेरे खड़े लंड को अपने मुंह में भर लिया और उसको पूरा मुंह में लेकर चूसने लगी. आह्ह् ... ओह्ह ... मैं तो पागल हो गया आंटी के मुंह में लंड देकर. इतना मजा मेरे लंड को कभी नहीं आया था. मेरा लंड अपने पूरे आकार में आ चुका था और 7 इंच लम्बा हो चुका था जिसे आंटी पूरा का पूरा अपने गले में उतार रही थी.
आंटी ने कहा- तुम्हारा यह लंड तो बहुत ही मजेदार है. क्या ये इतना ही मजबूत भी है?
मैंने कहा- आंटी, आप खुद ही देख लो अंदर लेकर. आपको पता लग जाएगा कि मेरा यह लंड कितना दमदार है.
यह कहकर मैंने आंटी को नीचे लेटा दिया और उनकी साड़ी को ऊपर करके उनकी चूत को सहलाने लगा. आंटी की चूत बहुत ही मजेदार थी. वह मेरे लंड के टच होने की वजह से गीली भी होना शुरू हो गई थी. मैंने आंटी की चूत को सहलाना जारी रखा और एक हाथ से आंटी के बोबों को भी दबाना जारी रखा.
आंटी बोली- मैं तो बहुत दिनों से प्यासी हूँ मेरे राजा ... आह्ह् ... तुम पहले क्यों नहीं मिले मुझे?
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